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तेरी याद सताती मां

तेरी याद सताती मां।

बड़े प्यार से पंखा झलकर खाना रोज खिलाती मां।
दूर हुआ हूं जबसे मुझको तेरी याद सताती मां।।

माना मुझको आज साथ में यह सुंदर परिवार मिला।
तेरी कृपा हुई जो मुझको, यह जीवन, संसार मिला।।
शहर आ गया हूं मैं लेकिन गांव में अश्क बहाती मां।
दूर हुआ मैं जब से मुझको तेरी याद सताती मां।।

तूने हाथ पकड़ कर मेरा आ बा सा दा सिखलाया था।
जीवन पथ का ज्ञान नहीं था, तूने ही पथ दिखलाया था।।
दीप जलाकर बड़े प्रेम से रोज आरती गाती मां।
दूर हुआ हूं जब से मुझको तेरी याद सताती मां।।

मांग मेरी पूरी करती थी, करती तर्क वितर्क नहीं।
कोई ऋतु हो कोई समय हो उसको कोई फर्क नहीं।।
हम सब थक कर सो जाते थे, तब भी ना सो पाती मां।
दूर हुआ हूं जबसे मुझको तेरी याद सताती मां।।

कुछ दिन ही स्कूल गई वो लेकिन मन की ज्ञाता है।
बच्चों के मन में क्या है यह उसे समझ में आता है।।
आय और खर्चो के सारे समीकरण सुलझाती मां।
दूर हुआ हूं जबसे मुझको तेरी याद सताती मां।।

माना अब मैं बड़ा हो गया फिर भी कहती बच्चा हूं।
याद रखूं या भूलूं उसको वो कहती मैं सच्चा हूं।।
रावत सबको भोजन देकर बचा खुचा ही खाती मां।
दूर हुआ हूं जबसे मुझको तेरी याद सताती मां।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
7999473420
9993685955


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3 Comments

बहुत ही खूबसूरत और भावनात्मक सृजन

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एकदम उम्दा रचना

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Reena yadav

01-Jun-2023 07:18 PM

👍👍

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